प्यार क्या है .. ??
हमारी नजर मे प्यार एक एहसास है, भावना है। जो कब किस से हो जाए कोई नही जानता। बस आंखो से आंखे मिली और कौन कब दिल के करीब आ गया कोई नहीं जानता।
प्यार किया नही जाता बस हो जाता है , प्रेम किसी भी उम्र मे हो सकता है प्रेम परंपराएँ तोड़ता है। प्यार त्याग व समरसता का नाम है।
प्रेम की अभिव्यक्ति सबसे पहले आँखों से होती है और फिर होंठ हाले दिल बयाँ करते हैं। और सबसे मज़ेदार बात यह होती है कि आपको प्यार कब, कैसे और कहाँ हो जाएगा आप खुद भी नहीं जान पाते। वो पहली नजर में भी हो सकता है और हो सकता है कि कई मुलाकातें भी आपके दिल में किसी के प्रति प्यार न जगा सकें।
प्रेम तीन स्तरों में प्रेमी के जीवन में आता है। चाहत, वासना और आसक्ति के रूप में। इन तीनों को पा लेना प्रेम को पूरी तरह से पा लेना है। इसके अलावा प्रेम से जुड़ी कुछ और बातें
प्रेम का दार्शनिक पक्ष- प्रेम पनपता है तो अहंकार टूटता है। अहंकार टूटने से सत्य का जन्म होता है। यह स्थिति तो बहुत ऊपर की है, यदि हम प्रेम में श्रद्धा मिला लें तो प्रेम भक्ति बन जाता है, जो लोक-परलोक दोनों के लिए ही कल्याणकारी है। इसलिए गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ है, क्योंकि हमारे पास भक्ति का कवच है। जहाँ तक मीरा, सूफी संतों की बात है, उनका प्रेम अमृत है।
साथ ही अन्य तमाम रिश्तों की तरह ही प्रेम का भी वास्तविक पहलू ये है कि इसमें भी संमजस्य बेहद जरूरी है। आप यदि बेतरतीबी से हारमोनियम के स्वर दबाएँ तो कर्कश शोर ही सुनाई देगा, वहीं यदि क्रमबद्ध दबाएँ तो मधुर संगीत गूँजेगा। यही समरसता प्यार है, जिसके लिए सामंजस्य बेहद जरूरी है।
एक मीराबाई थी, जिनका सब कुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। यहां तक कि कृष्ण को ही वह अपना पति मान बैठी थीं। प्यार की ऐसी चरम अवस्था कम ही देखने को मिलती है।
लेकिन आजकल की पीढ़ी का प्यार बस वासना बन कर रह गया है उनको कब प्यार हो जाता है और वो प्यार कब खत्म जाता है पता नहीं, दरअसल वो भी नहीं जानते कि ये प्यार नहीं, बस एक आकर्षण है जो किशोर अवस्था मे लगभग हर कोई इस आकर्षण से गुजरता है ।
प्यार एक मीठा अहसास है जिसका अहसास एक दिन सबको होता है।
हमारी नजर मे प्यार एक एहसास है, भावना है। जो कब किस से हो जाए कोई नही जानता। बस आंखो से आंखे मिली और कौन कब दिल के करीब आ गया कोई नहीं जानता।
प्यार किया नही जाता बस हो जाता है , प्रेम किसी भी उम्र मे हो सकता है प्रेम परंपराएँ तोड़ता है। प्यार त्याग व समरसता का नाम है।
प्रेम की अभिव्यक्ति सबसे पहले आँखों से होती है और फिर होंठ हाले दिल बयाँ करते हैं। और सबसे मज़ेदार बात यह होती है कि आपको प्यार कब, कैसे और कहाँ हो जाएगा आप खुद भी नहीं जान पाते। वो पहली नजर में भी हो सकता है और हो सकता है कि कई मुलाकातें भी आपके दिल में किसी के प्रति प्यार न जगा सकें।
प्रेम तीन स्तरों में प्रेमी के जीवन में आता है। चाहत, वासना और आसक्ति के रूप में। इन तीनों को पा लेना प्रेम को पूरी तरह से पा लेना है। इसके अलावा प्रेम से जुड़ी कुछ और बातें
प्रेम का दार्शनिक पक्ष- प्रेम पनपता है तो अहंकार टूटता है। अहंकार टूटने से सत्य का जन्म होता है। यह स्थिति तो बहुत ऊपर की है, यदि हम प्रेम में श्रद्धा मिला लें तो प्रेम भक्ति बन जाता है, जो लोक-परलोक दोनों के लिए ही कल्याणकारी है। इसलिए गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ है, क्योंकि हमारे पास भक्ति का कवच है। जहाँ तक मीरा, सूफी संतों की बात है, उनका प्रेम अमृत है।
साथ ही अन्य तमाम रिश्तों की तरह ही प्रेम का भी वास्तविक पहलू ये है कि इसमें भी संमजस्य बेहद जरूरी है। आप यदि बेतरतीबी से हारमोनियम के स्वर दबाएँ तो कर्कश शोर ही सुनाई देगा, वहीं यदि क्रमबद्ध दबाएँ तो मधुर संगीत गूँजेगा। यही समरसता प्यार है, जिसके लिए सामंजस्य बेहद जरूरी है।
एक मीराबाई थी, जिनका सब कुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। यहां तक कि कृष्ण को ही वह अपना पति मान बैठी थीं। प्यार की ऐसी चरम अवस्था कम ही देखने को मिलती है।
लेकिन आजकल की पीढ़ी का प्यार बस वासना बन कर रह गया है उनको कब प्यार हो जाता है और वो प्यार कब खत्म जाता है पता नहीं, दरअसल वो भी नहीं जानते कि ये प्यार नहीं, बस एक आकर्षण है जो किशोर अवस्था मे लगभग हर कोई इस आकर्षण से गुजरता है ।
प्यार एक मीठा अहसास है जिसका अहसास एक दिन सबको होता है।
पूजा
पहाड़न की डायरी से.......🖊🖋🖋
बहुत सुन्दर लेखन
ReplyDeleteधन्यवाद🙏
DeleteBhout hi pyara ehsash
ReplyDeleteजी धन्यवाद🙏
DeleteBhut hi acha lekh h Pooja g
ReplyDeleteFakht ek ka hone ka Naam Mohabbat hai
ReplyDeleteJo Roz Khuda badle wo bedeen rehte hai
प्यार के दो मीठे बोल से खरीद लो मुझे,
Deleteदौलत दिखाई तो सारे जहां की कम पड़ेगी
बहुत ही शानदार
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteसुंदर . . .
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