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मां

आजकल लोग भूलने बहुत लग गए है, अभी कल ही की बात है एक बेटा अपनी मां को ही भूल गया, वृद्धाश्रम में। और जानबूझकर भूल गया है।
उस मां जो खुद को मारकर उसके लिए जी, वो माँ जो उसको सुलाने के लिए रातभर जागी, वो माँ जिसने पिताजी से छुपाकर अपनी थोड़े बचाए पैसे अपने उस बेटे को दे दिए ताकि वो अपने दोस्तों के साथ मस्ती कर सके, वो मां जिसने उसकी शादी के लिए अपने गहने उसकी पत्नी को दे दिया।

आज उस मां के पास कुछ नही है तो वो मां उस बेटे के लिए बोझ लगने लगी है।

क्यों?

उस मां ने तो कभी उस बेटे को बोझ नही समझा?

पर मां तो मां है, वृद्धाश्रम मे है लेकिन हर सुबह शाम अपने बेटे की लंबी उम्र उसकी खुशहाली के लिए मन्नत मांगती है।


सोचने वाली बात ये है कि ये जो आजकल हम आप मां बाप को बोझ समझने लगे हैं कल को जब हमारा बुढ़ापा आएगा तो हमारे बच्चे हमारे साथ ये सब नही करेंगे?

सोचना जरूर।


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